Benefits from Surya Namaskar Surya Namaskar
- The first and the second asanas will give you peace, inspiration and concentration and you will move towards spiritualism. 2. The second and eleventh asanas will give you the spine exercises of the arms and back. Therefore, the abdominal muscles will spread. Spine and neck pain
This will help in removing.
- The third and tenth asanas will cure stomach ailments, which will decrease and end. Excess belly fat will also be removed, digestion will improve and constipation will be eliminated. Flexibility will remain in the spine of the back. People who have back pain should not do this asana.
- The fourth and ninth asanas will reduce mental stress and reduce the hardness of the entire back and stomach. The muscles of both the organisms and the legs will remain in a healthy condition.
- The fifth and eighth asanas will have a good massage of the muscles of the spine and stomach and clean blood to the spinal cord. From the neck to the lower part of the road, all the parts will get relief and strength.
- The pashtam and saptam asanas develop the thoracic position (chest) and strengthen the muscles of the arms, back and buttocks. This helps in eliminating diabetes.
When you perform the twelve asanas of Surya Namaskar with Pranayama, you are impressed and benefited by all the muscles, lumps and all major inner organs and glands and they get strength. Common diseases do not go astray and if they have happened, they improve immediately. Breathing is fast while performing these twelve asanas , consequently carbon gas comes out and lung insects are removed and oxygen-filled clean air enters again , resulting in a sharp brain.
सूर्य नमस्कार सूर्य नमस्कार से लाभ
१. प्रथम और द्वादश आसन से आपको शान्ति, स्फूर्ति और जित की एकाग्रता प्राप्त होगी और आप अध्यात्मवाद की ओर अग्रसर होंगे । २. द्वितीय और एकादश आसन से आपको भुजाओं और पीठ की रीढ़ क व्यायाम होगा। अत और पेट की मांसपेशियां फैलेगी। रीढ़ और गर्दन का दर्द
दूर करने में इससे सहायता मिलेगी।
३. तृतीय और दशम आसन से पेट की बीमारियां दूर होंगी, वे शनैः शनैः घटेगी और समाप्त होगी। पेट की अतिरिक्त चर्बी भी छटेगी, पाचन क्रिया में सुधार होगा और कब्जियत समाप्त होगी। पीठ की रीढ़ में लचीलापन बना रहेगा। जिन लोगों को कमर में दर्द हो, वे यह आसन न करें।
४. चतुर्थ और नवम आसन से मानसिक तनाव घटेगा और सम्पूर्ण पीठ एवं पेट की कठोरता में कमी आयेगी। दोनों जीवों और पैरों की मांसपेशियां स्वस्थ स्थिति में रहेंगी।
५. पंचम और अष्टम आसन से पीठ की रीढ़ और पेट के मांस-पेशियों का अच्छा मालिस होगा एवं रीढ़ की स्नायु को स्वच्छ रक्त प्राप्त होगा। गर्दन से लेकर रोड़ के निचले भाग तक सभी हिस्सों को राहत मिलेगी और शक्ति प्राप्त होगी।
६. पष्टम और सप्तम आसन से वक्ष स्थल (छाती) का विकास होता है और भुजाओं, पीठ और नितम्ब की मांस-पेशियाँ बलवती होती हैं। इससे मधुमेह की बीमारी दूर करने में सहायता मिलती है ।
जब आप सूर्य नमस्कार के बारह आसन प्राणायाम के साथ करते हैं, तो आपको सभी मांसपेशियाँ, गांठे और सभी प्रमुख भीतरी अंग और ग्रंथियां प्रभावित और लाभान्वित होती है और उन्हें शक्ति मिलती है। सामान्य रोग भटक नहीं पाते और यदि हो गये हों तो उनमें तुरन्त सुधार होता है। इन बारह आसनों को करते समय श्वास का आवागमन तेजी से होता है, फलत: कार्बन गैस बाहर निकलती है और फेफड़ों के कीटाण भी निकल जाते हैं और आक्सीजन-पुक्त स्वच्छ हवा पुनः भीतर प्रवेश करती है, जिसके परिणामस्व मस्तिष्क तेज हो जाता है।