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Benefits of Pavanmuktasana

Benefits of Pavanmuktasana

  1. There are many types of asanas under Pavanmuktasana. These  asanas        flush     out  contaminated  substances  and  toxins  from  different  joint  seating areas of the    body, which  accumulate  in  different  parts  of the body  due  to  low  chemical  reactions.   

 

  1. Accumulation of air  and  gas    in  the  joints of the body  leads  to    relaxation which    causes  pain    like  arthritis.   These pains  sometimes  occur  here  and  there  in places,  which  are very  painful. These  asanas   emove      these  complaints.   

 

  1. This asana is  very  beneficial    for  those who  have  fallen  ill  or are very  weak  and  who  are  unable   to  move. 

 

  1. These asanas are very  useful for those who have been    suffering  for  a  long  time.   These asanas   strengthen the joints and  muscles    of  their  body.   

 

  1. These asanas are very helpful  in  removing  all  muscle  related  diseases   and  anger. 

 

  1. These asanas remove   all    high  blood  pressure  disorders   and the patient  begins to    recover  very  quickly. 

 

  1. These asanas are  very  helpful  in  removing    vaata-vyadhi. 

 

  1. These asanas perform   cleaning        work  under  the      body,   thereby  removing  all  the toxins  stored  inside the body  and making the  body  healthy. 

 

  1. Defective food   accumulates     toxins     like dust,  acids,  smoke , etc .  that  spoil  the  digestive  system.

 

      10.They   cause  diseases   of the kind.  These  diseases are   cured  by wind-free.   10. These  simple  asanas    remove  all  kinds  of  vices  and  defects  which and there is no  burden    on the   body. 

 

  1. The one who does the wind-free ingestion begins to get      all  these  qualities   of      energy,  health, long life, thorns,  ability to do a  job,  lack  of   fatigue.  

 

  1. By practicing wind free  and  gas free  asanas, the endocrine  glands  are  streamlined.   

 

  1. All the glands start      secreting    the right  amount  of  rum. 

 

  1. Disease affected organs      can    be cured and  revived  and  made  normally  functional.   

 

  1. Regular practice of asanas  makes the  brain  powerful  and  santu

 

  1. Without being distracted,  you    will be able to face the sorrows and  worries    of  the  world  with a calm  mind. 

 

  1. The entire method of wind-free  asana  is effective in loosening  the  body.   

 

  1. This is a good practice of  removing  stiffness  and  elasticity  of the body. 





पवनमुक्तासन से लाभ

१. पवनमुक्तासन के अन्तर्गत कई प्रकार के आसन शामिल हैं। इन आसनों से शरीर के विभिन्न जोड़वाले स्थानों से दूषित बात और विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं, जो निम्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण शरीर के विभिन्न अंगों में जमा होते हैं ।

 

२. शरीर के जोड़ों में वायु और गैस जमा होने से शिथिलता उत्पन्न होती है, जो गठिया जैसे दर्द उत्पन्न करती है। ये दर्द कभी यहाँ कभी वहाँ जगह-जगह पर होते रहते हैं, जो बड़े कष्टदायक हैं। इन आसनों से ये शिकायतें दूर हो जाती हैं ।

 

३. ये आसन उन लोगों के लिए बहुत लाभदायक है, जो बीमार पड़कर उठे हैं या बहुत कमजोर हैं और जो हिल-डोल करने में भी असमर्थ हैं।

 

४. जो बहुत दिनों तक शथ्याग्रस्त रहे हों, उनके लिए ये आसन बहुत उपयोगी हैं। ये आसन उनके शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।

 

५. ये आसन मांसपेशियों से सम्बन्ध रखनेवाले सारे रोग ओर रोष दूर करने में बहुत सहायक होते हैं ।



६. इन आसनों से उच्च रक्त चाप सम्बन्धी सारे दोश और विकार दूर होते हैं और रोगी बहुत शीघ्र आरोग्य लाभ करने लगता है ।

 

७. ये आसन वात-व्याधि दूर करने में बहुत सहायक होते हैं ।

 

८. ये आसन शरीर के अन्तर्गत सफाई का काम करते हैं, जिससे शरीर के अन्दर जमा सारे विषाक्त पदार्थ दूर हो जाते हैं और शरीर स्वस्थ हो जाता है।

 

९. शरीर में दोषपूर्ण भोजन से धूल, अम्ल, धूम आदि विषैले पदार्थ जमा होते रहते हैं, जो पाचन संस्थान को खराब करते ही हैं, विभिन्न |

 

प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं। पवनमुक्तासनों से ये रोग और द दूर हो जाते हैं । १०. इन सरल आसनों से सब प्रकार के विकार और दोष दूर हो ही जो

 

हैं और शरीर पर कोई भार नहीं पड़ता।

 

११. पवनमुक्तासन करने वाले को स्फूर्ति, स्वास्थ्य, दीर्घजीवन, कान्ति, अ कार्य करने की क्षमता, थकान का बिल्कुल अभाव, ये सारे गुण स्व प्राप्त होने लगते हैं।

 

१२. पवनमुक्त तथा गैसमुक्त आसन के अभ्यास से अन्तःस्रावी ग्र सुव्यवस्थित होती हैं ।

 

१३. समस्त ग्रन्थियों से उचित मात्रा में रम का स्राव होने लगता है ।

 

१४. रोग पीड़ित अंगों को नीरोग कर, पुनर्जीवित कर सामान्य कार्य योग्य बनाया जा सकता है ।

 

१५. आसनों के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क शक्तिशाली एवं संतु

 

बना रहता है ।

 

१६. बिना विचलित हुए आप शान्त मन से संसार के दु:ख, चिन्ताओं समस्याओं का सामना कर सकेंगे ।

 

१७. पवनमुक्त आसन की सम्पूर्ण विधि शरीर को ढीला करने प्रभावकारी है।

 

१८. शरीर का कड़ापन और लोचहीनता हटाने के ये अच्छे अभ्यास है।

 

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