Housewife and Yoga Practices
Household chores may not be things of heartbreak, but it is important.That there should be a sense of meaningfulness and self-satisfaction in doing so. It is a privilege of man to work in this spirit and it leads to internal development. If a housewife does not feel this kind of satisfaction with her work, the household work becomes an endless burden and does not seem to have any meaning. Then it creates annoyance, despair and sadness, and these feelings spread to other members of the family. Such an unpleasant situation is in many households, as a result their family life is getting very sad.
The housewife usually works under constant pressure (if the children are young, the drug increases even more) and should be able to cope with the burden day by day. A housewife needs more and equal lying power in her work than her husband who works in a working rhythm. In order to withstand circumstantial pressure and to achieve happiness, meaningfulness and satisfaction of the fulfillment of purpose in her work, it is especially necessary for a housewife to be physically and mentally healthy. By mistake, people consider domestic work as exercise, while the truth is that such hard work increases pressure and stress. Therefore, it is very important that a housewife takes some time out of her domestic hours every day to maintain her physical and mental level. Yoga is the best way to do this.
गृहिणी और योग
- घर के काम-धंधे भले ही दिलबहलाव की चीजें न हों, किन्तु यह महत्त्वपूर्ण है। कि इनके करने में जीवन की सार्थकता का अनुभव और आत्मसन्तुष्टि की भावना होनी चाहिये । इस भावना से काम करना मानव का एक विशेषाधिकार है और इससे आन्तरिक विकास होता है। यदि कोई गृहिणी अपने काम से इस प्रकार के संतोष का अनु भव नहीं करती, तो घर का काम एक अन्तहीन बोझ बन जाता है और उसकी कोई सार्थकता नहीं जान पड़ती। फिर उससे झल्लाहट, निराशा और उदासी पैदा होती है और ये भावनाएँ परिवार के अन्य सदस्यों तक फैलती हैं। इस प्रकार की अप्रिय स्थिति अनेक घरों में है, फलतः उनका पारिवारिक जीवन अत्यन्त दुःखद हो रहा है।
- गृहिणी सामान्यतः निरन्तर दबाव के अन्दर काम करती है (यदि बच्चे छोटे हैं, तो यह दवाव और भी बढ़ जाता है) और उसे दिन प्रतिदिन बोझ का सामना करने योग्य होना चाहिए। एक गृहिणी को उसके पति की अपेक्षा, जो एक कार्या लय में काम करता है, उसे अपने कार्यपालन में अधिक एवं समानरूप से ठहरने वाली शक्ति की आवश्यकता है । परिस्थितिजन्य दबाव का सामना करने एवं अपने कार्य में आनन्द, सार्थकता और उद्देश्य की पूर्णता का सन्तोष प्राप्त करने हेतु एक गृहिणी का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना विशेष आवश्यक है। गलती से लोग घरेलू काम-धंधे को व्यायाम मान बैठते हैं, जबकि सत्य यह है कि इस प्रकार के परिश्रम से दबाव और तनाव में वृद्धि होती है। इसलिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि एक गृहिणी प्रतिदिन अपने घरेलू काम के घण्टों में से थोड़ा समय निकाल कर अपने शारीरिक एवं मानसिक स्तर को ऊँचा बनाये रखने के लिए जो कुछ आवश्यक हो करे। योग इसका सर्वोत्तम तरीका है।