How did the body stay healthy
This knowledge is based on four principles:
- You yourself have the great vitality by which you can always maintain your health.
- This vitality is present in every molecule within you and it is very stria in the early years of your organism. But if it is not activated from time to time, it gets into it with the passage of time and it relaxes. It does not disappear. It falls asleep.
- Only you can awaken and activate this vanishing great power once again through your efforts.
- This awakening work is completed when you conduct your body in such a way that they are able to regain the organs, glands, muscle bones and joints where that vitality is sleeping , how to get proper and inspiration.
The summary of the above statement is that old age is quickly caused by the lack of proper maintenance of the body. The reason for the inadequate maintenance to a great extent is that you do not know how to awaken vitality. We have seen how a person is very active, yet his weight has increased unnecessarily and he lacks flexibility. This type of man considers himself to be active in the same quantity as he is moving around or using energy. He does not understand that the use of energy is of no importance. What is important is the kind of energy dynamics. Therefore, it is possible to prevent loss of muscle health and strength only by knowing what kind of mobility will give strength to every part of the body. You can reduce your stress, muscle stress and body stiffness if you know what kind of body’s body relaxes the body. You can recover only through proper conduction of the body. This is the whole secret.
शरीर कैसे स्वस्थ रहे ?
यह ज्ञान चार सिद्धांतों पर आधारित है:
१. स्वयं आप में वह महान् जीवनी शक्ति मौजूद है जिसके द्वारा आप अपना स्वास्थ्य हमेशा ठीक रख सकते हैं।
२. यह जीवनी शक्ति आपके अन्दर प्रत्येक अणु में मौजूद है और वह आपके जीव के प्रारम्भिक वर्षों में अत्यन्त सत्रिय रहती है। किन्तु उसे यदि समय-समय पर सक्रिय न बनाया जाय तो समय बीतने के साथ उसको यात जातो है और वह शिथिल हो जाती है। वह लुप्त नहीं होती। यह सो जाती है ।
३. केवल आप ही इस लुप्त महान् शक्ति को अपने प्रयासों के जरिये एक बार फिर जगा सकते हैं और सक्रिय बना सकते हैं।
४. यह जागरण कार्य उस समय पूरा होता है, जब आप अपने शरीर का संचालन इस प्रकार करें कि वे अंग, ग्रंथियां, स्नायुतन्तु हड्डियां और जोड़, जहाँ पर वह जीवनी शक्ति सो रही हो, पुनः सशक्त हो जाय, ठीक से कैसे और स्फूर्ति प्राप्त कर ले ।
उपर्युक्त कथन का सारांश यह है कि शरीर की देख-रेख उचित ढंग से नहीं होने से बुढ़ापा जल्दी आ जाता है। बहुत हद तक अपर्याप्त देख-रेख का कारण यह है कि आप यह नहीं जानते कि जीवनी शक्ति को किस प्रकार जगाया जा सकता है। हमने देखा है कि किस प्रकार कोई व्यक्ति अत्यन्त सक्रिय है, फिर भी उसका वजन अनावश्यक रूप से बढ़ गया है और उसमें लचीलेपन का अभाव है। इस प्रकार का आदमी अपने को उसी मात्रा में सक्रिय’ समझता है, जिस मावा में वह पलता फिरता है अथवा ऊर्जा का प्रयोग करता है। वह यह नहीं समझतामात ऊर्जा के प्रयोग का ही कोई महत्व नहीं है। महत्व की बात यह है कि ऊर्जा की गति शीलता किस प्रकार की है। इसलिए मांसपेशियों के स्वास्थ्य और शक्ति की क्षति को रोकना यह जानकर ही संभव है कि किस प्रकार की गतिशीलता से शरीर मे प्रत्येक भाग को शक्ति प्राप्त होगी। आप अपना तनाव, स्नायु पर जोर और शरी का जकड़ाव घटा सकते हैं, यदि आप यह जान लें कि किस प्रकार के शरीर स से शरीर को आराम मिलता है। शरीर के समुचित गंचालन से ही आप पुन प्राप्त कर सकते हैं। यही सम्पूर्ण रहस्य है ।