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How to prevent Swelling of joints

How to prevent Swelling of joints

 

Arthritis i.e.  joint pain and swelling  is a global  painful  problem  and  can be prevented  by  regular  practice  of yoga asanas.  This painful swelling  of     the joints,  which used to occur mainly    to  older people,  is  now    widely    occurring  not  only  to  adults  but  also  to  young people.   Today,        millions of people of the  world    are   suffering  from  this  disease  every day.     They  first        use         many  medicines  that  give an assurance  to    relieve    pain.   As    you  possibly    know,   the person who is attacked  by  this  disease  hardly      heals.  The pain      increases  progressively  and  the  swelling  also       expands   gradually.   The methods                 adopted nowadays   are extremely weak in the possibility of getting  rid  of  this  disease. 

Based on the detailed experiences of my disciples, I am of the opinion that the operation of joints of organs with patience and caution and the release of food items that accumulate disorders(milk-produced ghee,   butter,  meat, fish,  etc.)that are high in fat can naturally relieve joint pain. Please note that I emphasize “auto-operation” because various types of massages and seis can be beneficial for a short time but the relief from them is temporary.  The term “auto-operation”(Self Manipulation) means the operation of the body part pratyanga and here I face both the crises of this vicious cycle that on the one hand a person suffering from joint pain does not want to operate his organs, as doing so increases his pain and on the other hand his pain is aggravated by not operating the organs.

Compound operations of organs are ideal which are done gradually without any pressure so that the seeker sits in a state of minimal distress. The ideal is complete. The effect of this compound reaches the joints directly and loosens unnecessary collected elements (deposits) by spreading and rotating different types of organs. A systematic, repeated operation that is carried out slowly and carefully has a very good result in no time. I also experience that those who practice yoga regularly have a possibility of avoiding joint inflammation.




The fundamental purpose of yoga is to empower, develop the body; To make healthy, flexible dynamics and well organized.

 


 

जोड़ों का सूजन

आर्द्राइटिस अर्थात् जोड़ों में दर्द और सूजन विश्वव्यापी दुःखद समस्या है और योगासनों के नियमित अभ्यास से उसका निवारण हो सकता है। जोड़ों का यह दर्दनाक सूजन जो पहले मुख्यतः अधिक उम्र वालों को होता था, अब विस्तृत रूप से न केवल प्रौढ़ों को बल्कि युवकों को भी होने लगा है। आज संसार के लाखों आदमी इस रोग से ग्रसित होकर प्रतिदिन अति कष्टकर पीड़ा भोग रहे हैं। वे पहले तो ऐसी अनेक दवाओं का प्रयोग करते हैं जो दर्द से राहत दिलाने का अश्वासन देते हैं। जैसा कि आप संभवतः जानते हैं इस रोग से आक्रान्त व्यक्ति मुश्किल से चंगा होता है। दर्द उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है और सूजन का भी क्रमश: विस्तार होता रहता है। आजकल जिन तरीकों को अपनाया जाता है उनके द्वारा इस रोग से मुक्ति पाने की संभावना अत्यंत ही क्षीण है।

अपने शिष्यों के विस्तृत अनुभवों पर आधारित मेरी यह राय है कि धैर्य और सावधानी के साथ अंगों के जोड़ों के संचालन और ऐसी खाद्य सामग्रियों को जो विकार जमा करते हों (दूध से उत्पादित घी, मक्खन, मांस, मछली आदि ऐसे भोजन जिनमें चर्बी अधिक है) छोड़ने से जोड़ों का दर्द स्वाभाविक रूप से दूर हो सकता है। कृपया ध्यान दें कि मैं “स्वतः संचालन” पर बल देता हूँ क्योंकि विभिन्न प्रकार की मालिश और सेके कुछ समय तक ही लाभप्रद हो सकते हैं किन्तु उनसे मिलने वाली राहत अस्थायी है। “स्वतः संचालन” (Self Manipulation) शब्द का अर्थ है शरीर के अंग प्रत्यंग का संचालन और यहाँ मैं इस दुष्चक्र के उभय संकट का सामना करता है कि एक ओर तो जोड़ों के दर्द से ग्रसित व्यक्ति अपने अंगों का संचालन नहीं करना चाहता है, क्योंकि ऐसा करने से उसका दर्द बढ़ता है और दूसरी ओर अंगों का संचालन नहीं करने से उसका दर्द और बढ़ता जाता है।

अंगों के ऐसे यौगिक संचालन आदर्श हैं जो धीरे-धीरे बिना किसी दबाव के किये जाते हैं, ताकि साधक न्यूनतम कष्ट की स्थिति का अनुभव करें। किया आदर्श पूर्ण है। विभिन्न प्रकार के अंगों के फैलाव और घुमाव को किया यह यौगिक का प्रभाव जोड़ों तक सीधे पहुंचता है और अनावश्यक एकत्र तत्वों (deposits) को ढीला करता है। व्यवस्थित ढंग से बार-बार की गयी ऐसी संचालन किया का जो धीरे-धीरे और सावधानी से की जाती है, कुछ ही समय में बहुत अच्छा परिणाम दृष्टिगोचर होता है। मेरा यह भी अनुभव है कि नियमित रूप से योग की साधना करने वालों की जोड़ो की सूजन की बीमारी से बचने की अ संभावना रहती है।



योग का मौलिक उद्देश्य है शरीर को सशक्त, विकसित; सुदृढ, स्फूत्तं लचीना गतिशीन एवं सुसंगठित बनाना ।

 

 

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