Prevention of Alcoholism and Smoking with Yoga

Prevention of Alcoholism and Smoking with Yoga

Many people  who     work    in front  of the  day are completely  ripe at the end of the day.   The             reason for   their complete fatigue is that their seating    conditions    are  pathetic  and  in  that  case  they  do not  operate the organs naturally, I stretch out their hands and feet  and their muscles  are often stressed. 

 

You will also find that you unknowingly sow too much    power and more power due to habits ( muscle bad habits).  Yoga has made us able to control muscle tensions and eliminate muscle habits, including smoking and drinking.  By doing so, we did not raise any question of these bad habits and not bring a sense of guilt among the students. Just as other welfare works have taken place through Yoga,  so these bad layers were easily removed. When you practice yoga,  your vitality or vitality automatically increases. Vitality works for you in every possible way. The modified vitality means increase in strength and energy from all respects, physical emotional and mental.       By doing this, you will find that the activities that have a good effect are automatically reduced and the effects are bad. Therefore, the increase in vitality means a decrease in harmful habits.



The knowledge of the entry of energy into the organ parts will prevent you from destroying yourself. Cravings like smoking and drinking, which are against nature, will gradually decrease. Many yoga students gave up smoking and drinking only because of this and became vegetarians, so that they had no taste in these veins. Similarly,  muscles are stress free. Due to which bad nervous habits are eliminated, because the stress that causes it disappears. The accumulation of power that was destroyed in vain earlier makes it difficult to believe the wisdom that is in the living power.


योग से धूम्रपान-मद्यपान का निवारण

 

अनेक व्यक्ति जो दिन के सामने काम करते रहते हैं, दिन समाप्त होते-होते बिल्कुल पक जाते हैं। उनके पूर्णतः थक जाने का कारण यह है कि उनके बैठने की दशा ही दयनीय है और उस स्थिति में वे स्वभाविक तरीके से अंग संचालन नहीं करते, म हाथ-पैर फैलाते और उनकी मांसपेशियां प्रायः तनाव में रहती है।




आप यह भी पायेंगे कि आप अनजाने ही बहुत अधिक शक्ति तथा हैबिट्स (स्नायु बुरी संबंधी आदतों) के चलते अधिक शक्ति बोते हैं। योगाभ्यास से हम मांसपेशियों के तनावों पर काबू पाने और स्नायु संबंधी आदतों को जिनमें धूम्रपान और मद्यपान भी शामिल हैं, समाप्त करने में सफल हुये हैं। हमने ऐसा करके इन बुरी आदतों का कोई प्रश्न ही नहीं उठाया और न साधक छात्रों में ही अपराध की भावना आयो। जिस प्रकार योग के माध्यम से अन्य कल्याणकारी कार्य हुये हैं, ठीक उसी प्रकार ये बुरी लतें भी सरलता से स्वतः दूर हो गयी । जब आप योगाभ्यास करते हैं, तो आपकी प्राणशक्ति या जीवन शक्ति स्वतः बढ़ जाती है। जीवनी शक्ति हर संभव तरीके से आपके लिए काम करती है। परिवधित जीवनी शक्ति का तात्पर्य है शारीरिक भावनात्मक और मानसिक सभी दृष्टियों से शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि ये अंग-प्रत्यंग अच्छी तरह अपना सर्वोत्तम हित समझते हैं और यदि आप शरीर और मन को बौद्धिक क्षमता में विश्वास रखते हुए उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक काम करने देते है (जैसा कि योगाभ्यास द्वारा होता है) तो आप स्वयं यह अनुभव करेंगे कि जो गतिविधियां बढ़ी है, उनका अच्छा प्रभाव पड़ा है। ऐसा करने से आप पायेंगे कि वे गतिविधयां बढ़ जाती है जिनका प्रभाव अच्छा होता है और वे गतिविधियाँ स्वतः घट जाती हैं जिनका असर बुरा होता है। इसलिए जीवनी शक्ति की वृद्धि का तात्पर्य है हानिकारण आदतों में कमी।

अंग प्रत्यंगों में ऊर्जा का प्रवेश का ज्ञान आपको अपना विनाश करने से रोकेगा। धूम्रपान और मद्यपान जैसी तृष्णायें जो प्रकृति के खिलाफ है, धीरे-धीरे घटेगी। अनेक योगाभ्यासी छात्रों ने केवल इसी कारण धूम्रपान और मद्यपान छोड़ दिया और वे शाकाहारी बन गये, कि इन नशों में उन्हें कोई स्वाद ही न रहा। ठीक इसी प्रकार, मांसपेशियां तनावरहित होती है। जिस कारण स्नायु संबंधी बुरी आदतें समाप्त होती है, क्योंकि जिस तनाव के कारण ये उत्पन्न होती है वही समाप्त हो जाती है। जो शक्ति पहले व्यर्थ ही नष्ट होती जाती थी उसके संचय से जीवसी शक्ति में जो बुद्धि होती है उस पर विश्वास करना कठिन हो जाता है।

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