Benefits from Garudasana
1. It prevents sciatica (Sciatica) and pain in the arms and knees It ishelpful.
2. It controls the balance of the body.
3. It strengthens the muscles of the legs, arms and bones.
4. It does not allow the testicles to grow as it puts pressure on the sacs .
5. It sends clean blood to the testicles , thereby increasing manhood and Impotence is removed.
6. When the scrotum does not work properly , the reserves flowing into the testicles .
7. In women, due to lack of proper functioning of the bachanadi, water accumulates in the roots , which is a feel-footed look. This asana cures this disease.
8. Regular practice of this asana can prevent and prevent these symptoms.
How to Do Garudasana
1. Stand up and raise your left leg and move it around the right leg.
2. Place the new blind in front of the right joint and the left leg surrounds the right leg and is on the right body.
3. While in this position, place the arms in the same way , the left arm should be surrounded by the right side , so that both the hands are in the form of prayer.
4. Now bend the right leg and do not touch the ground with your body fingers. Bend down as long as the left foot.
5. Exhale while the body is crooked; In extreme conditions, the breathing process is normal, the balance of the body should also be maintained as is in the picture.
6. Stand slowly breathing.
7. Now do this from the other side with your right foot on your right foot.
गरुड़ासन से लाभ
२. यह शरीर का संतुलन नियंत्रित करता है ।
३. यह पैरों, भुजाओं तथा हड्डियों के स्नायुओं को शक्तिशाली बनाता है।
४. यह अंडकोष बढ़ने नहीं देता क्योंकि यह बचनाड़ी (अंडकोषों के पारवंद स्नायु) पर दबाव देता है ।
५. यह स्वच्छ रक्त अंडकोषों में भेजता है, जिससे पुरुषत्व में वृद्धि होती है एवं नपुंसकता दूर होती है।
६. जब बचनाड़ी समुचित कार्य नहीं करती, तब अंडकोष में प्रवाहित रक्ष जल में परिवर्तित हो जाता है और अंडकोष बहुत बढ़ जाता है। इस अनियमितता को यह आसन दूर करता है।
७. स्त्रियों में बचनाड़ी के समुचित कार्य न करने से पानी जंधों में जमा हो जाता है, जो फीलपाँव-सा दीख पड़ता है । यह आसन इस रोग को दूर करता है ।
८. इस आसन के नियमित अभ्यास से ये लक्षण रोके जा सकते हैं और उनका निवारण हो सकता है।
गरुड़ासन कैसे करें
१. खड़े होकर बायाँ पैर उठायें और उसे दाहिने पैर के इर्दगिर्द घुमाएँ। २. नायें अंधे को दाहिने जंधे के सामने रखें और बायाँ पैर दाहिने पैर को घेर ले एवं दाहिने पिण्ड पर हो।
३. इस स्थिति में रहते हुए भुजाओं को भी उसी प्रकार रखें, बाई भुजा दाहिनी भुजा से घेर ले, ताकि दोनों हाथ प्रार्थना की मुद्रा में हो जाय। को
४. अब दाहिना पैर झुका दें और शरीर अंगुलियाँ जमीन स्पर्श न कर ले।
५. शरीर टेढ़ी करते हुए श्वास छोड़ें; चरम स्थिति में श्वास प्रक्रिया सामान्य हो, शरीर का संतुलन भी ठीक रहे जैसा चित्र में है।
६. धीरे-धीरे श्वास खींचते हुए खड़े हो जायें।
७. अब दाहिना पैर ऍटते हुए यह क्रिया दूसरी ओर से भी करें।