Benefits of Shavasana

Benefits of Shavasana

  1. It controls the  nervous system.  
  2. It relaxes the lost and stressful  mind. 
  3. It should be  done  initially  for  two  to    five  minutes  and  all the asana  
  1. This must be done  even  after Surya  Namaskar. 
  2. If you do this asana at  night, it     causes   deep  sleep. 
  3. It is somewhat   helpful  in  controlling   blood pressure  and  heart  disease. 
  4. If you  can  do the right  amount  of  detachment while  resting  in the shavasana ,   it will help you to relax from  taking  sleeping  pills .



It will be good.  You  should practice this  asana   whenever  you  are   suffering  from   anxiety,  pressure  or  insomnia. 

 

How to Do Shavasana

  1. You lie down directly  on a  valley,  on a  hard  bed  or  on the  ground. 
  2. Both sides should be  lying  near  the  body  and the palms  should be facing the    sky. 
  3. Separate yourself   completely    from  the  problems of daily  life  and unite your  mind  on the dim  and  fast  left. 
  4. Make some difference between    the two  legs,  stay  comfortable,   and  keep your eyes  closed.  
  5. Relieve the stress of all the muscles  of  your  body    mentally.  
  6. Don’t move. Give full  bill  to the whole  body. 
  7. Breathe naturally  and    slowly    while  concentrating  on  the navel.  
  8. Look at the breathing  process  mentally  and    carefully.   
  9. There should not be  a  single act of breathing  or  exhaling that does not go     unnoticed. 
  10. When the breath is normal  and  regular   and  slow,  start  counting  in the mind.    This  count  occurs  with the heartbeat  of  the navel.   When  the breath  goes  up,  the  number is “one”  and  when the breath  comes out,  the  number    is numbered  “two”.  
  11. Thus count with  complete  concentration,    from  one  to the same.   12. When you            take full vidham,   slowly operate the  organ,  open   your  a  and  sit down  to do other  asanas.   




शवासन से लाभ

१. यह स्नायु-व्यवस्था को नियंत्रित करता है।
२. यह खोए हुए और तनावपूर्ण मन को विश्राम देता है।

३. इसे दो से ५ मिनट तक प्रारंभ में किया जाय और सभी आसनों के के बाद भी किया जाय।

४. सूर्य नमस्कार के बाद भी यह अवश्य किया जाय ।

५. यदि रात को यह आसन करें, तो इससे गहरी निद्रा आती है।

६. रक्तचाप और हृदय रोग को नियंत्रित करने में यह कुछ हद तक सहायक है।

७. शवासन में विश्राम करते समय यदि आप सही मात्रा में अनासक्ति का कर सकते हैं, तो इससे नींद की गोलियां खाने से प्राप्त विश्राम से

उत्तम होगा।  आप जब भी चिन्ता, दबाव अथवा अनिद्रा से पीड़ित हों, तब आपको इस आसन का अभ्यास करना चाहिये ।

शवासन कैसे करें

. आप एक दरी पर, कठोर विस्तर पर अथवा जमीन पर सीधा लेट जाइये।

२. दोनों भुजाएँ शरीर के समीप पड़ी रहें और हथेलिया आकाश की ओर रहें।

३. आप अपने को दैनिक जीवन की समस्याओं से पूर्णतः अलग कर लें और अपना मन मंद एवं तेज वाम पर एकाय करें।

४. दोनों पैरों के बीच कुछ अंतर रखें, आराम से रहें, और आंखें बंद रहे।

५. मानसिक दृष्टि से अपने शरीर की सभी मांसपेशियों का तनाव दूर करें।

६. हिले हुलें नहीं । सम्पूर्ण शरीर को पूर्णतः बील दें।

७. नाभि पर ध्यान एकाग्र करते हुए स्वाभाविक रूप से और सय से श्वास लें।

८. श्वास प्रक्रिया को मानसिक दृष्टि से और सावधानी से देखें ।

९. श्वास खींचने या छोड़ने की एक भी किया ऐसी न हों, जिसपर आपका ध्यान न जाय ।

१०. जब श्वास सामान्य और नियमित एवं धीमी हो जाय, तब मन में गिनना शुरू करें। नाभि की धड़कन के साथ यह गिनती हो। जब श्वास ऊपर जाय तो गिने “एक” और जब श्वास बाहर निकले, हो गिने “दो” ।

११. इस प्रकार एक से लेकर एकसी तक, पूर्ण एकाग्रता के साथ गिनती गिनें।

१२. जब आप पूर्णतः विधाम ले लें, तब धीरे-धीरे अंग संचालित करें, अपनी अ खोलें और अन्य आसन करने के लिए बैठ जाये।

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