Benefits of Shavasana
- It controls the nervous system.
- It relaxes the lost and stressful mind.
- It should be done initially for two to five minutes and all the asana
- This must be done even after Surya Namaskar.
- If you do this asana at night, it causes deep sleep.
- It is somewhat helpful in controlling blood pressure and heart disease.
- If you can do the right amount of detachment while resting in the shavasana , it will help you to relax from taking sleeping pills .
It will be good. You should practice this asana whenever you are suffering from anxiety, pressure or insomnia.
How to Do Shavasana
- You lie down directly on a valley, on a hard bed or on the ground.
- Both sides should be lying near the body and the palms should be facing the sky.
- Separate yourself completely from the problems of daily life and unite your mind on the dim and fast left.
- Make some difference between the two legs, stay comfortable, and keep your eyes closed.
- Relieve the stress of all the muscles of your body mentally.
- Don’t move. Give full bill to the whole body.
- Breathe naturally and slowly while concentrating on the navel.
- Look at the breathing process mentally and carefully.
- There should not be a single act of breathing or exhaling that does not go unnoticed.
- When the breath is normal and regular and slow, start counting in the mind. This count occurs with the heartbeat of the navel. When the breath goes up, the number is “one” and when the breath comes out, the number is numbered “two”.
- Thus count with complete concentration, from one to the same. 12. When you take full vidham, slowly operate the organ, open your a and sit down to do other asanas.
शवासन से लाभ
१. यह स्नायु-व्यवस्था को नियंत्रित करता है।
२. यह खोए हुए और तनावपूर्ण मन को विश्राम देता है।
३. इसे दो से ५ मिनट तक प्रारंभ में किया जाय और सभी आसनों के के बाद भी किया जाय।
४. सूर्य नमस्कार के बाद भी यह अवश्य किया जाय ।
५. यदि रात को यह आसन करें, तो इससे गहरी निद्रा आती है।
६. रक्तचाप और हृदय रोग को नियंत्रित करने में यह कुछ हद तक सहायक है।
७. शवासन में विश्राम करते समय यदि आप सही मात्रा में अनासक्ति का कर सकते हैं, तो इससे नींद की गोलियां खाने से प्राप्त विश्राम से
उत्तम होगा। आप जब भी चिन्ता, दबाव अथवा अनिद्रा से पीड़ित हों, तब आपको इस आसन का अभ्यास करना चाहिये ।
शवासन कैसे करें
१. आप एक दरी पर, कठोर विस्तर पर अथवा जमीन पर सीधा लेट जाइये।
२. दोनों भुजाएँ शरीर के समीप पड़ी रहें और हथेलिया आकाश की ओर रहें।
३. आप अपने को दैनिक जीवन की समस्याओं से पूर्णतः अलग कर लें और अपना मन मंद एवं तेज वाम पर एकाय करें।
४. दोनों पैरों के बीच कुछ अंतर रखें, आराम से रहें, और आंखें बंद रहे।
५. मानसिक दृष्टि से अपने शरीर की सभी मांसपेशियों का तनाव दूर करें।
६. हिले हुलें नहीं । सम्पूर्ण शरीर को पूर्णतः बील दें।
७. नाभि पर ध्यान एकाग्र करते हुए स्वाभाविक रूप से और सय से श्वास लें।
८. श्वास प्रक्रिया को मानसिक दृष्टि से और सावधानी से देखें ।
९. श्वास खींचने या छोड़ने की एक भी किया ऐसी न हों, जिसपर आपका ध्यान न जाय ।
१०. जब श्वास सामान्य और नियमित एवं धीमी हो जाय, तब मन में गिनना शुरू करें। नाभि की धड़कन के साथ यह गिनती हो। जब श्वास ऊपर जाय तो गिने “एक” और जब श्वास बाहर निकले, हो गिने “दो” ।
११. इस प्रकार एक से लेकर एकसी तक, पूर्ण एकाग्रता के साथ गिनती गिनें।
१२. जब आप पूर्णतः विधाम ले लें, तब धीरे-धीरे अंग संचालित करें, अपनी अ खोलें और अन्य आसन करने के लिए बैठ जाये।