Benefits of Tadasana

Benefits of Tadasana

1. It is the opposite posture of sheepsin.

2. It is also the first currency of conch purification.

3. It helps in lightening the heavy buttocks and dulduli chests of men and women.

4. This can help the pregnant woman to stay healthy and if she does this (asana) for the fifth month under the guidance of a qualified teacher , the baby will be born easily .

5. This spreads the spine and all the organs of the body, as a result of which height, which is a

The cause is blocked, it increases. Sitting-As a result of sitting work The stress in the body also goes away.

6. It relieves arthritis pain.

7. Drink 3 to 4 glasses of warm salty water in the morning to remove habitual constipation and go 100 steps forward and back in Tadasana.

How to Do Tadasana

1. In the pose of standing, keep a distance of 6 inches between the two heels.

2. Pick up the heels and place your hands over your head.
3. Stretch both hands up and trap your fingers into each other.

4. Do the surface of the trapped fingers on your head.

5. Stand on the toes and look at the surface of the palms and spread the whole body with full force, as well as breathe.

6. Hold your breath for 5 to 10 seconds.

7. Then, leaving the dalas, slowly stand on the sole of the foot and tilt your arms over your head.

 




ताड़ासन से लाभ

१. यह शीपसिन का विपरीत आसन है।

२. यह शंख प्रक्षालन की भी प्रथम मुद्रा है।

३. यह पुरुषों और स्त्रियों के भारी नितम्ब और दुलदुली छाती को हल्की करने में सहायक है।

४. इससे गर्भवती स्त्री स्वस्थ रह सकती है और यदि वह किसी योग्य शिक्षक के निर्देशन में पांचवें महीने तक यह (आसन) करे, तो बच्चा आसानी से पैदा हो जायगा

५. इससे मेरुदण्ड और शरीर के सभी अंग फैलते हैं, फलतः ऊँचाई, जो किसी

कारण से अवरुद्ध हो गई हो, बढ़ती है। बैठे-बैठे काम करने के फलस्वरूप

शरीर में उत्पन्न तनाव भी दूर हो जाता है।

६. यह गठिया दर्द को दूर करता है ।

७. आदतन कोष्ठबद्धता दूर करने के लिए प्रातःकाल ३ से ४ ग्लास सुसुम नमः कीन पानी पीजिये और ताड़ासन में १०० कदम आगे-पीछे चलिये ।

ताड़ासन कैसे करें

१. खड़े होने की मुद्रा में, दोनों एड़ियों के बीच ६ इंच की दूरी रखते हुए हो जायें।

२. एड़ियाँ उठाइये और हाथों को सिर के ऊपर कीजिये । ३. दोनों हाथों को ऊपर तानकर उँगलियों को एक दूसरे में फँसा लीजिये ।

४. फँसी हुई अँगुलियों का पृष्ठ भाग अपने सिर पर कीजिये।

५. पैर की अंगुलियों के बल खड़े होकर हथेलियों का पृष्ठ भाग देखिये और सम्पूर्ण शरीर को पूरा शक्ति से फैलाइये, साथ ही श्वास भी खींचिये ।

६. ५ से १० सेकेण्ड तक श्वास रोकिये ।

७. तब दलास छोड़ते हुए धीरे-धीरे पाँव के तलवे के बल खड़े हो जाइये और अपनी भुजाओं को सिर के ऊपर झुकाइये ।

 

 

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