gas free asana
This asana is very effective in extracting gas from inside the stomach. It is very beneficial in removing complaints of indigestion and constipation.
Seekers need wind-free and gas-free asanas before they perform asanas , as it calms and relaxes the body and mind , resulting in hope- based benefits.
Method -1. Liedown with your feet in the shavasana. 2. Bend the right leg and bring the thigh to the chest.
- Hold the knee with both hands and exhale and try to put it in the quota.
- Keep the stomach and lungs empty of the air throughout the stomach.
- Breathe slowly into the position of shavasana.
- Do it five to ten times.
- Then do this action five to ten times, bending the left leg and exhaling.
- Finally bend both the legs on the chest and wrap the vessels around the knees exhaling and try to put the nose in the nose while applying the letter to the stomach.
- When you feel like breathing, straighten your feet and lie down in the shavasana. 10. Take a breath two or four times and take its motion naturally and then repeat this action.
- Thus do five to ten actions according to your capacity.
- Finally, stay in the shavasana for a while and make the breathing speed natural, then take another fire. Benefits – 1. This taken of the intestines of the stomach gives a good massage.
- Prevention of air disorders and constipation.
- Stomach muscles become powerful. Prohibition- People suffering from heart disease should not do this asana. The following should be taken care of while doing wind free and gas free asanas:
- Organs, joints and senses should not be affected suddenly and quickly while doing asanas.
- Keep the eyes closed and vomit and straighten while practicing Be careful and look inwardly.
3. While doing asanas, one should feel peace, happiness and coolness by being introverte.
गैसमुक्त आसन
यह आसन पेट के अन्दर से गैस निकालने में बहुत प्रभावकारी है। अपच और कब्जियत की शिकायत दूर करने में यह बहुत लाभ पहुंचाता है।
साधकों को पवनमुक्त और गैसमुक्त आसन करने के पहले स चाहिये, क्योंकि इससे शरीर एवं मन शान्त और शिथिल हो जाते हैं, फलतः आशा नीत लाभ होता है।
विधि -१. शवासन में पैर सटाकर लेट जाइये। २. दायें पैर को मोड़िये और जांघ को सीने के पास लाइये।
३. दोनों हाथों से ठेहुने को पकड़कर साँस छोड़ते हुए कोटे में सटाने की कोशिश कीजिये ।
४. मक्ति भर पेट और फेफड़ा को हवा से खाली रखिये ।
५. श्वास लेते हुए धीरे-धीरे शवासन की स्थिति में आ जाइये।
६. इसे पाँच से दस बार कीजिये।
७. इसके बाद इसी क्रिया से बायाँ पैर मोड़कर श्वास छोड़ते हुए पाँच मे दस बार कीजिये ।
८. अन्त में दोनों पैरों को सीने पर मोड़ लीजिये और वाहों को घुटनों के चारों ओर सांस छोड़ते हुए लपेट लीजिये और पेट को पत्रकाते हुए नाक को ठेहुने में सटाने की कोशिश कीजिये ।
९. जब श्वास लेने का मन हो तो पैर को सीधा कर शवासन में लेट जाइये। १०. दो-चार बार श्वास लेकर उसकी गति स्वाभाविक रूप में ले जाये तब इस क्रिया को दुहराइये ।
११. इस प्रकार पाँच से दस कर यह क्रिया अपन क्षमता के अनुसार कीजिये ।
१२. अन्त में शवासन में कुछ देर रहकर श्वास की गति स्वाभाविक कर लीजिये, तब दूसरा आगन कीजिये । लाभ – १. पेट की अंतड़ियों की इस लिया से अच्छी मालिश होती है।
२. वायु-विकार और कब्जियत का निवारण होता है।
३. पेट की मांसपेसियाँ शक्तिशाली बनती हैं। निषेध- हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिये। पवनमुक्त और गैसमुक्त आसन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहि
१. आसन करते समय अचानक और शीघ्र गति से अंगों, जोड़ों, और इन्द्रियों को प्रभावित नहीं करना चाहिये ।
२. अखि बन्द रखिये और अभ्यास करते समय उल्टी और सीधी किया
सचेत होकर अन्तः दृष्टि से देखते रहिये ।
- आसन करते समय अन्तर्मुखी होकर शान्ति प्रसन्नता और शीतलता का अनुभव करना चाहिये ।