Benefits of Vajrasana
1. Gives strength to the foot and.
2.. Helpful in relieving the stress of soles and hail .
3.Relieves the stress of the entire spinal cord.
4. If those suffering from manayat disease and suffering from heart disease sit in this posture for fifteen minutes after meals, they will benefit a lot.
5. If you do this asana for ten to fifteen minutes immediately after eating, the food will be digested well.
6. The veins, muscles and muscles of the feet will be strengthened.
7. unhealthy the hunon legs, Arthritis cures the pain of sciatica.
8.The disease of the angutas and the blinds will be cured.
9. complaints of constipation and indigestion go away 10. Hemorrhoids provide relief.
11. Strengthens the muscles of the uterus and stomach.
How to Do Vajrasana
1. Bend down and sit on your knees.
2. Keep the above on your feet.
3. The sole of the foot remained up.
4. Place the buttocks in the middle of the sole of the foot.
3. Touch the ankles with the wounds.
6. The parts from the thumbs to the knees must touch the ground. 7. Keep the weight of the entire body on the knees and fists.
8. Place both hands straight on the knees.
9. The knees should be close to each other.
10. The head, neck and spine remained in a sidhi.
11. to the body Do not keep it in the stem, stay comfortable, breathe normally and exhale.
Things to remember
- Sit straight and unmoved for the whole time.
- while breathing and exhaling , quietly numbered at least 100 |
- You can keep your eyes closed for rest.
वज्रासन से लाभ
१. पैर और को शक्ति प्रदान करता है।
२. तलवों और जयों का तनाव दूर करने में सहायक
३. सम्पूर्ण मेरुदण्ड का तनाव दूर करता है।
४. मन्यात रोग से ग्रस्त और हृदय रोग से पीड़ित यदि भोजनोपरांत पन्द्रह मिनट तक इस मुद्रा में बैठे, तो उन्हें बहुत लाभ होगा।
५. यदि आप भोजन करने के तुरन्त बाद यह आसन दस से पन्द्रह मिनट करें, तो भोजन अच्छी तरह पच जायगा ।
६. पैरों की नाड़ियों, स्नायुओं और मांसपेशियों को बल मिलेगा ।
७. अस्वस्थ ठेहुनों पैरों, अंगुटों और जंधों का रोग दूर हो जायगा।
८. गठिया साइटिका का दर्द ठीक हो जाता है ।
९. कब्जियत और अपच की शिकायत दूर हो जाती है १०. बवासीर में आराम पहुंचता है।
११. गर्भाशय और आमाश्य की मांसपेशियों को शक्ति देता है ।
वज्रासन कैसे करें
१. झुककर घुटने के बल बैठ जाये ।
२. अबों को पैरों पर रखें।
३. पैर का तलवा ऊपर रहे।
४. नितम्बों को पैर के तलवे के बीच में रखें।
३. टखनों को जंधों से स्पर्श करें।
६. अंगूठों से लेकर घुटनों तक के हिस्से जमीन को अवश्य स्पर्श करें।
७. सम्पूर्ण शरीर का वजन घुटनों और छुट्ठियों पर रखें ।
८. दोनों हाथों को घुटनों पर सीधे रखें।
९. घुटने एक दूसरे के समीप रहें।
१०. सिर, गर्दन और मेरुदण्ड एक सीध में रहे।
११. शरीर को तनाद में न रखें, आराम से रहें, सामान्य रूप से श्वास ग्रहण करें और छोडे ।
स्मरणीय विन्दु
१. पूरे समय तक सीधे और बिना हिले-डुले बैठे ।
२. श्वास लेते और छोड़ते समय, चुपचाप कम-से-कम १०० तक गिने |
३. आराम के लिए आप आखें बन्द रख सकते हैं।